A review on "KYA HAI APKI CHOICE"
आज सुबह हमने चाय की चुस्कियो का स्वाद, NDTV के सोशल एक्सपेरिमेंट्स के कुछ ५-६ किस्सों के साथ लिया, जिन्हे आपको शायद रात के डिनर की मेज़ पर परोसा गया होगा. मै तहेदिल से इंटरनेट संसाधन का धन्यवाद देना चाहती हूँ, जिसके कारण विदेश में भी अपने देश की खबर रखना इतना आसान है. यूँ तो ऐसे कदम पहले भी यु ट्यूब चैनल्स में युवा पीढ़ी द्वाराउठाए गए हैं, पर इंटरनेट एक वैकल्पिक संसाधन है, और हमारे भारत में टीवी, खबर का एक अनिवार्य संसाधन. इस अनिवार्य बड़े पैमाने पर ये मुहीम चलना, सराहनीय कदम है. बेशक येमुहीम -"क्या है आपकी चॉइस?”, प्रशंसनीय है.
क्या सही, क्या गलत, ये सबको पता होता है. पर सही को सही जता सके, हर किसी में वो हिम्मत नहीं होती. दिखाए जा रहे इन सोशल एक्सपेरिमेंट्स के माध्यम से "साधारण इंसान" को भीगलत को गलत ठहराने की हिम्मत मिलेगी. इस मुहीम के साथ, इनमे भाग लेने वाले, इनको देखने वाले, अपने घरों में ड्राइंग रूम में बैठे, इन विषयों पर चर्चा ज़रूर करते होंगे. हर व्यक्तिअपने आपको इस मुहीम की स्थिति में रखकर कल्पना करता होगा. जिससे उन्हें यह प्रेरणा मिलती है, की वह भी यह कर सकता है. उसकी आवाज़ की निंदा नहीं की जाएगी. इस तरह "आमआदमी भी अपना वज़ूद समझ, अपनी भूमिकाएं निभा पाएगा. यह मुहीम बहोत सी गलत सोच ख़त्म करने में मददगार साबित हो सकती है.
यह उस दवा के सामान है, जो धीरे-धीरे असर दिखती है, परन्तु इलाज पूर्ण रूप से करती है.
अब एक समीक्षक की दृष्टि से बात की जाए, तो यह मुहीम ये भी दर्शाती है के अपर मिडिल क्लास / पढ़े-लिखे लोग आसानी से आवाज़ उठा सकते है. जो दिखाया जाता है, उससे अपने आपको जोड़कर लोग देखते है..(मैंने यह रिव्यू १४मर्च को दिखाए गए "रेसिस्म" सोशल एक्सपेरिमेंट्स को ध्यान में रखते हुए किया है. समय की व्यस्तस्ता के कारण मै सारे वीडियो तो नहीं देखपाई, अगर मुझसे कोई गलती हो तो कृपया क्षमा करे.)
लोअर मिडिल/ लोअर क्लास के लोग, फिलहाल इस मुहीम से अपने आपको जोड़कर देखने में असमर्थ होंगे. यदि इन एक्सपेरिमेंट्स में लोअर मिडिल/ लोअर क्लास का भी हस्तक्षेप दिखायाजाए, तो वे भी अपने आपको इससे जोड़ सकेंगे. ड्राइंग रूम्स के साथ ही वन रूम और झुग्गिओं में भी इस मुहीम के लिए जमकर आवाज़ उठेगी. उनकी भी हिम्मत बढ़ेगी की वे खुले में आकर,सही का साथ दे गलत को नकार सकें, अपनी आवाज़ उठा सकें. इस क्रांति की ज्वाला कही अधिक असरदार होगी. इस मुहीम के लिए, एक आम और ज़िम्मेदार भारतीय होने के नाते, मैंNDTV का धन्यवाद देना चाहती हूँ.
लोअर मिडिल/ लोअर क्लास के लोग, फिलहाल इस मुहीम से अपने आपको जोड़कर देखने में असमर्थ होंगे. यदि इन एक्सपेरिमेंट्स में लोअर मिडिल/ लोअर क्लास का भी हस्तक्षेप दिखायाजाए, तो वे भी अपने आपको इससे जोड़ सकेंगे. ड्राइंग रूम्स के साथ ही वन रूम और झुग्गिओं में भी इस मुहीम के लिए जमकर आवाज़ उठेगी. उनकी भी हिम्मत बढ़ेगी की वे खुले में आकर,सही का साथ दे गलत को नकार सकें, अपनी आवाज़ उठा सकें. इस क्रांति की ज्वाला कही अधिक असरदार होगी. इस मुहीम के लिए, एक आम और ज़िम्मेदार भारतीय होने के नाते, मैंNDTV का धन्यवाद देना चाहती हूँ.
“जब मालिक ने एक ही मिटटी से इंसानों को बनाया,
फिर ये रंग भेद का झंडा किसने लहराया..
रंगों का काम दुनिया रंग-बिरंगी करना,
हमें इनके बूते ही दुनिया को क्यों बेरंग बनाना..”