Friday, April 3, 2015

A review on "KYA HAI APKI CHOICE"

A review on "KYA HAI APKI CHOICE"

आज सुबह हमने चाय की चुस्कियो का स्वाद, NDTV के सोशल एक्सपेरिमेंट्स के कुछ - किस्सों के साथ लियाजिन्हे आपको शायद रात के डिनर की मेज़ पर परोसा गया होगामै तहेदिल से इंटरनेट संसाधन का धन्यवाद देना चाहती हूँजिसके कारण विदेश में भी अपने देश की खबर रखना इतना आसान हैयूँ तो ऐसे कदम पहले भी यु ट्यूब चैनल्स में युवा पीढ़ी द्वाराउठाए गए हैंपर  इंटरनेट एक वैकल्पिक संसाधन हैऔर हमारे भारत में टीवी, खबर का एक अनिवार्य संसाधनइस अनिवार्य बड़े पैमाने पर ये मुहीम चलनासराहनीय कदम हैबेशक येमुहीम -"क्या है आपकी चॉइस?”, प्रशंसनीय है.
क्या सहीक्या गलतये सबको पता होता हैपर सही को सही जता सकेहर किसी में वो हिम्मत नहीं होतीदिखाए जा रहे इन सोशल एक्सपेरिमेंट्स के माध्यम से "साधारण इंसानको भीगलत को गलत ठहराने की हिम्मत मिलेगीइस मुहीम के साथइनमे भाग लेने वालेइनको देखने वालेअपने घरों में ड्राइंग रूम में बैठेइन विषयों पर चर्चा ज़रूर करते होंगेहर व्यक्तिअपने आपको इस मुहीम की स्थिति में रखकर कल्पना करता होगाजिससे उन्हें यह प्रेरणा मिलती हैकी वह भी यह कर सकता हैउसकी आवाज़ की निंदा नहीं की जाएगीइस तरह "आमआदमी भी अपना वज़ूद समझअपनी भूमिकाएं निभा पाएगायह मुहीम बहोत सी गलत सोच ख़त्म करने में मददगार साबित हो सकती है.
यह उस दवा के सामान हैजो धीरे-धीरे असर दिखती हैपरन्तु इलाज पूर्ण रूप से करती है.
अब एक समीक्षक की दृष्टि से बात की जाएतो यह मुहीम ये भी दर्शाती है के अपर मिडिल क्लास / पढ़े-लिखे लोग आसानी से आवाज़ उठा सकते हैजो दिखाया जाता हैउससे अपने आपको जोड़कर लोग देखते है..(मैंने यह रिव्यू १४मर्च को दिखाए गए "रेसिस्मसोशल एक्सपेरिमेंट्स को ध्यान में रखते हुए किया हैसमय की व्यस्तस्ता के कारण मै सारे वीडियो तो नहीं देखपाईअगर मुझसे कोई गलती हो तो कृपया क्षमा करे.)
लोअर मिडिललोअर क्लास के लोगफिलहाल इस मुहीम से अपने आपको जोड़कर देखने में असमर्थ होंगेयदि इन एक्सपेरिमेंट्स में लोअर मिडिललोअर क्लास का भी हस्तक्षेप दिखायाजाएतो वे भी अपने आपको इससे जोड़ सकेंगेड्राइंग रूम्स के साथ ही वन रूम और झुग्गिओं में भी इस मुहीम के लिए जमकर आवाज़ उठेगीउनकी भी हिम्मत बढ़ेगी की वे खुले में आकर,सही का साथ दे गलत को नकार सकें, अपनी आवाज़ उठा सकें. इस क्रांति की ज्वाला कही अधिक असरदार होगीइस मुहीम के लिएएक आम और ज़िम्मेदार भारतीय होने के नातेमैंNDTV का धन्यवाद देना चाहती हूँ.

“जब मालिक ने एक ही मिटटी से इंसानों को बनाया,
फिर ये रंग भेद का झंडा किसने लहराया..
रंगों का काम दुनिया रंग-बिरंगी करना,
हमें इनके बूते ही दुनिया को क्यों बेरंग बनाना..”

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